PRAGATI KA EKMATRA MARG (SUCCESS) - success in life in hindi top 10

Monday 14 May 2018

PRAGATI KA EKMATRA MARG (SUCCESS)



'प्रगति का एक मात्र मार्ग '

दुनिया का हर शोक पाला नहीं जाता 

कांच के खिलोनो को उछाला नहीं जाता 

मेहनत करने से मुश्किल हो जाती है आसान क्योकि हर काम तकदीर पर टाला नहीं जाता 


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संसार के सभी देशो ने प्रगति के इस प्रथम गुरुमंत्र को भली प्रकार पढ़ लिया   हैं।  इसलिए वहा जाकर देखने से किसी भी समर्थ व्यक्ति को बेकार बैठा हुआ नहीं देखा जा सकता। गरीब ,आमिर बाल -वृद्ध ,नर नारी हर कोई अपने कामो मे पूरी दिलचस्पी और मुस्तैदी के साथ हुआ जाएगा।  फलस्वरूपउन्होने जो कुछ सोचा वह पाया भी।  वे भौतिक प्रगतिचाहते है और उनका श्रम इस आकांछा को कल्पवृछ की तरह पूरी करता चला जाता है। अमेरिकन श्रमिक भारतीय श्रमिक की अपेछा तीन गुना अधिक काम करता है। जो बेकार बैठता है ,उससे सारा समाज घृणा  करता है। हर घड़ी  काम मे लगे रहने से चित्त मे संतोष और संतुलन रहता है






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स्वामी रामतीर्थ एक बार जापान गए।  वहां उन्होने घूम - घूम कर वहां के नागरिको का जीवन क्रम देखा।  उन्होने पाया कि श्रम के घंटो मे हर नागरिक पूरी तन्मयता के साथ अपने काम मे जुटा रहता है। वे भगवा कपड़े साधुओ के ढक के पहने थे ,वहां के लोग के लिए एक विदेशी  पर्सन   और भी  विलक्षण  तरह की पोशाक पहने   कौतूहल  की वस्तु हो सकता था ,पर स्वामी रामतीर्थ ने पाया कि जहाँ भी वे गये , एक तिरछी आँख से देखने के अतिरिकत उनकी ओर किसी ने भी ध्यान नहीं दिया और मनोयोग से अपने काम मे लगे रहे।  छुट्टी होने पर वहाँ के लोग इस प्रकार आमोद - प्रमोद मनाते हुए हँसता हुआ जीवन बिताते है मानो इन्हे कोई कुबेर की सम्प्र

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  स्वामी रामतीर्थ जापानियों के जीवन क्रम से बहुत प्रभावित हुए। उनका स्पीच होना वाला था। सुनने के लिए बहुत लोग आये।  स्वामी रामतीर्थ ने संछेप मे यही कहा - आद्यात्मिक के मौलिक सिद्धांतो को आप लोगो ने जीवन मे उतार लिया है। इसलिए आप लोगो के सामने उन्ही सिद्धांतो की  व्याख्या  करना मै उचित नहीं समझता जो आप पहले से ही अपनयाे हुए है। 





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